Cricket
icon Sachin Tendulkar, who has brought many a laurel to the country through his exploits in the game has been nominated to the Rajya
Sabha, the upper house of Parliament. He will fill one of 12 seats in the Rajya
Sabha that are reserved for those persons having special knowledge or practical
experience in respect of such matters as literature, science, art and social
service. Also he is the first sportsman to be nominated in this category, which
has no election process. Along with Sachin, Rekha who is known for
her brilliant and emotional portrayals in Hindi cinema in the
80s, will become members of Parliament under a provision of the constitution.
The musician Ravi Shankar, the singer Lata Mangeshkar and the artist MF Husain
are the people were in the list to serve a six-year term MP post.
The
nomination for Sachin came from the ruling Congress party, which is currently
fighting political battles on various fronts. Party leaders feel that Sachin’s
entry into the party will help improve its standing, especially after the
series of debacles it has encountered in the recent past. But media and
sources said that this is a move from Congress to divert the people’s attention
from the criticism and attacks encountered. Media analyst and commentators felt
if the nomination is an honor, it is fine but if it is an attempt at improving
governance in India, then he doesn't have the experience. Please feel free to
comment on this…
सचिन तेंदुलकर दुनिया के सर्वाधिक सफल व्यक्तियों में से हैं और पाकिस्तान जैसे देश के लोग भी उनकी इज्ज़त करते हैं। पेप्सी कोक को टॉयलेट क्लीनर मानने वाले एक वर्ग को सचिन से समस्या है कि सचिन ने तमाम विदेशी ब्रांड्स का प्रचार किया। पेप्सी कोक पीने से और लगातार पीते रहने से किसी को कुछ हो गया हो - ऐसा कोई प्रमाणिक समाचार नहीं है। अमेरिका और यूरोपीय देश अपने नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होने भी नहीं देते जो किसी भी घातक पेय को बिना चेतावनी के बेचने दें। हाँ ठीक है पेप्सी से शौचालय साफ़ किया जा सकता है - तो आप कीजिये न। जिसे पीनी है वो पिए। शराब बेचने वाले विजय माल्या को जब राज्यसभा सांसद बना दिया जाए तब परेशानी नहीं है, परन्तु पेप्सी का विज्ञापन करने वाले सचिन तेंदुलकर को सांसद बनाने में हाहाकार मच जाता है। अब आते हैं उनके "कांग्रेसी" होने पर। सचिन तेंदुलकर को कांग्रेस ने अपना राज्यसभा सांसद बनाने का निमंत्रण दिया। सचिन ने विनम्र मगर दो टूक ढंग से कांग्रेस से जुड़ने से मना कर दिया। तब कांग्रेस को अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्हें राष्ट्रपति से मनोनीत करवाना पड़ा। परिणाम - सचिन के पास विकल्प है कि वो शपथ लेने से ६ माह के अन्दर किसी भी दल में शामिल हो सकते हैं - भाजपा या शिवसेना में भी, और चाहे तो निर्दलीय रह सकते हैं। अब जिस सचिन ने कांग्रेस का सांसद बनने से इनकार कर दिया (सोनिया गाँधी से मिलने के बावजूद भी), उस सचिन को कांग्रेसी कहना वही झूठ का झंडा उठाये घूमना है। सचिन चाहते तो जया बच्चन जिस प्रकार सपा की सांसद हैं, और हेमा मालिनी भाजपा की, उसी तरह कांग्रेस के सांसद बन सकते थे पर न केवल उन्होंने वो मना किया, अपितु सरकारी बँगला लेने से भी मना कर दिया। हर महीने २०० बच्चों के पालन-पोषण का व्यय उठाने वाले व्यक्ति पर कांग्रेसी होने का झूठा आरोप लगाना - इसी अतिवाद का दूसरा उदाहरण बन कर सामने आया।
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